द फॉलोअप डेस्क
बिहार में बढ़ती लापता बच्चियों की संख्या चिंता का विषय बन चुकी है। यहां साल 2019 से 2021 के बीच हर साल करीब 9800 से अधिक बच्चियां अलग-अलग इलाके से गायब हुई हैं, जिनके परिजनों ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट थानों में दर्ज करवाई हैं। आपको बता दें, इस मामले में सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में 9839, 2020 में 9999 और 2021 में 9808 लड़कियों के लापता होने की जानकारी है। इसे लेकर बताया जा रहा है कि तस्कर बच्चियों को सुनहरे सपने दिखाते हैं,फिर खाड़ी देश भेज देते हैं। गौर करने की बात यह है कि लापता होने वाली सबसे अधिक बच्चियां कोसी और सीमांचल के 7 जिलों से है।NGO के सर्वे में सामने आई बड़ी बात
उक्त मामले को लेकर भूमिका विहार नाम की एक NGO ने सर्वे किया। इस सर्वे में मुख्य रूप से यह बात सामने निकलकर आई है कि तस्कर लड़कियों को घर पर रहकर काम करने का झूठा ऑफर देकर जाल में फंसाते हैं। वो लड़कियों को ऑनलाइन नौकरी के माध्यम से अधिक कमाई करने का वादा करते हैं। इसके साथ ही उन्हें लुभाने के लिए आकर्षक पैकेज और सुविधाएं देने की भी बात कहते हैं। तस्कर लड़कियों को भ्रामक लिंक भेजकर अपने चंगुल में फंसाते हैं।
रेंडम मिस कॉल से करते हैं टारगेट
इस मामले को लेकर सर्वे करने वाली NGO की डायरेक्टर शिल्पी सिंह बताती है कि काउंसलिंग करने के दौरान अधिकांश बच्चियों ने बताया गया कि रेंडम मिस कॉल के जरिए तस्कर उनसे कॉन्टैक्ट करते हैं। लगातार आते मिस कॉल को बच्चियां अचानक उठाने लगती है, फिर दोस्ती इतनी बढ़ जाती है कि वह घर से बाहर निकल आती हैं। इस तरह तस्कर लड़कियों को टारगेट कर अपने झांसे में लेते हैं। उन्हें सुनहरे सपने दिखाकर खाड़ी देश भेज दिया जाता है। तस्कर लड़कियों को बड़े शहर में जाकर जीवन बदलने का लालच, बेहतर रोजगार का अवसर और बेहतर शिक्षा का प्रस्ताव देते हैं।लौटने पर नहीं अपनाते हैं घरवाले
तस्कर नाबालिग बच्चियों को बहला-फुसलाकर 18 साल की होने तक किसी दूसरी जगह रखते हैं, फिर टूरिस्ट वीजा पर उसे खाड़ी देश भेज देते हैं। लेकिन वहां से लौटकर आने वाली लड़कियों को उनके घरवाले भी नहीं अपनाते हैं। तस्कर भी उसे पहचानने से इनकार कर देता है। ऐसे में लड़कियों के पास केवल देह व्यापार ही एकमात्र साधन बच जाता है।